जोशीमठ जैसा उत्तराखंड का प्राचीन, ऐतिहासिक और पौराणिक स्थान समाप्ती की कगार पर खड़ा है तो इसका काऱण क्या है ... शोधकर्ताओं का सोचना क्या है और वैज्ञानिकों का नजरिया किस तरीके का है....क्या दोनों का अध्यन और समझ एक ही निष्कर्ष कर पहुंचती है..अगर हां तो ये निष्कर्ष है क्या ?